Monday, 8 January 2018

RuBaRu Milne Ka Mauka Milta Nahin Hai Roj, Isliye Lafzon Se Tum Ko Chhu Liya Maine. रूबरू मिलने का मौका मिलता नहीं है रोज, इसलिए लफ्ज़ों से तुमको छू लिया मैंने।

RuBaRu Milne Ka Mauka Milta Nahin Hai Roj,
Isliye Lafzon Se Tum Ko Chhu Liya Maine.
रूबरू मिलने का मौका मिलता नहीं है रोज,
इसलिए लफ्ज़ों से तुमको छू लिया मैंने।

उनका हर अंदाज़ हकीकत है या ख्वाब है , खुशनसीबों के पास रहते हैं वो , मेरे पास तो बस उनकी मीठी सी याद है

  • उनका हर अंदाज़ हकीकत है या ख्वाब है ,
    खुशनसीबों के पास रहते हैं वो ,
    मेरे पास तो बस उनकी मीठी सी याद है

Tuesday, 8 August 2017

लेती नहीं दवाई "माँ",

#@nkit

लेती नहीं दवाई "माँ",
जोड़े पाई-पाई "माँ"।

दुःख थे पर्वत, राई "माँ",
हारी नहीं लड़ाई "माँ"।

इस दुनियां में सब मैले हैं,
किस दुनियां से आई "माँ"।

दुनिया के सब रिश्ते ठंडे,
गरमागर्म रजाई "माँ" ।

जब भी कोई रिश्ता उधड़े,
करती है तुरपाई "माँ" ।

बाबू जी तनख़ा लाये बस,
लेकिन बरक़त लाई "माँ"।

बाबूजी थे सख्त मगर ,
माखन और मलाई "माँ"।

बाबूजी के पाँव दबा कर
सब तीरथ हो आई "माँ"।

नाम सभी हैं गुड़ से मीठे,
मां जी, मैया, माई, "माँ" ।

सभी साड़ियाँ छीज गई थीं,
मगर नहीं कह पाई "माँ" ।

घर में चूल्हे मत बाँटो रे,
देती रही दुहाई "माँ"।

बाबूजी बीमार पड़े जब,
साथ-साथ मुरझाई "माँ" ।

रोती है लेकिन छुप-छुप कर,
बड़े सब्र की जाई "माँ"।

लड़ते-लड़ते, सहते-सहते,
रह गई एक तिहाई "माँ" ।

बेटी रहे ससुराल में खुश,
सब ज़ेवर दे आई "माँ"।

"माँ" से घर, घर लगता है,
घर में घुली, समाई "माँ" ।

बेटे की कुर्सी है ऊँची,
पर उसकी ऊँचाई "माँ" ।

दर्द बड़ा हो या छोटा हो,
याद हमेशा आई "माँ"।

घर के शगुन सभी "माँ" से,
है घर की शहनाई "माँ"।

सभी पराये हो जाते हैं,
होती नहीं पराई "माँ".

हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले

#@nkit
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमाँ, लेकिन फिर भी कम निकले

माला की तारीफ तो करते है

#@nkit
माला की तारीफ तो करते है सब, क्योंकि मोती सबको दिखाई देते है... काबिले तारीफ धागा है जनाब, जिसने सबको जोड़ रखा है...