Thursday, 19 March 2015

Vohi ranjishe vihi hasrate

#@nkit
""वोही रंजिशे वोही हसरतेना ही दर्दे-दिल में कमी हुई ......अजब सी हे मेरी जिन्दगीना गुज़र सकी न ख़तम हुई"!!!

Sunday, 8 March 2015

Har mahfil me log humse

#@nkit
हर महफ़िल में लोग हमसे एक ही सवाल किया करते है !
कौन है वो ?   इतना खुश नसीब ? जो तुम्हारी हर शायरी में उसका ही जिक्र होता है.

Nigahoe dusra koi

#@nkit
निगाहोँ मेँ दूसरा कोई आ
ही ना पाया...

भरोसा ही कुछ
ऐसा था तेरे लौट आने का....

Kyu karte ho mujhse itni

#@nkit
क्यू करते हो, मुझसे इतनी
खामोश मोहब्बत।
लोग समझते हैं, इस बदनसीब
का कोई नही...

Hazaar ke note se to

#@nkit
हजार के नोटों से तो बस जरूरतें पूरी होती हैं,
मजा तो माँ से मांगे एक रुपये के सिक्के में था।