Friday, 6 March 2015

Kabhi kabhi mohhabat me

#@nkit
कभी कभी मोहब्बत में रेगिस्तान सी हो जाती है ये जिन्दगी
मंज़िल अकसर दिखती तो है मगर मिलती नहीं

Arma tamam umra ke

#@nkit
अरमाँ तमाम
उम्र के सीने में दफ़न हैं...

हम चलते फिरते लोग
मज़ारों से कम नहीं हैं ...

Munasib samjho to

#@nkit
मुनासिब समझो तो सिर्फ इतना ही बता दो…

दिल बैचैन हैं बहुत, कहीं तुम उदास तो नहीं…

Hisla unme u nhi na tha


#@nkit
होसला उसमे भी न था, युँ मुझसे जुदा होने का...!

वर्ना काजल उसकी आखो में, युँ ना फैला होता...!!!

Saza ban jati hai

#@nkit
सजा बन जाती हैं गुजरे वक़्त की हर याद___! जब लोग मेहरबान होते हैं सिर्फ़ मतलब केलिए__