Hindi Shero Shayariya
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Wednesday, 5 February 2014
जिन्दगी जैसे
ज़िन्दगी जैसे एक सज़ा सी हो गयी है, ग़म के सागर में कुछ इस कदर खो गयी है, तुम आ जाओ वापिस यह गुज़ारिश है मेरी, शायद मुझे तुम्हारी आदत सी हो गयी है.
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